
यह एक टूटी हुई कमान है,
अपनी रोटियों की सबको फ़िक्र है,
इसलिए सस्ता हुआ ईमान है,
नाम भले ही हिंदुस्तान है।
अचरज मुझे इस बात पर है दोस्तों,
बिना रीढ़ के भी चल रहा इंसान है,
जी नही पता है अच्छा आदमी,
अब जिन्दगी ही मौत का सामान है,
नाम भले ही हिंदुस्तान है।
एक-दुसरे से लड़ है लोग सब,
आतंक यहाँ इसलिए आसान है,
नाम भले ही हिंदुस्तान है।
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