रविवार, 28 दिसंबर 2008

नाम भले ही हिंदुस्तान है.

नाम भले ही हिंदुस्तान है,
यह एक टूटी हुई कमान है,
अपनी रोटियों की सबको फ़िक्र है,
इसलिए सस्ता हुआ ईमान है,
नाम भले ही हिंदुस्तान है।
अचरज मुझे इस बात पर है दोस्तों,
बिना रीढ़ के भी चल रहा इंसान है,
जी नही पता है अच्छा आदमी,
अब जिन्दगी ही मौत का सामान है,
नाम भले ही हिंदुस्तान है।
एक-दुसरे से लड़ है लोग सब,
आतंक यहाँ इसलिए आसान है,
नाम भले ही हिंदुस्तान है।

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6 टिप्‍पणियां:

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

आपने बड़ी सच्ची बात कह दी है.....लेखन को जारी रखें

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

thank u pintu, tippni ke liye. uncle

Girish Kumar Billore ने कहा…

टिपियाने का शुक्रिया
आप भी बहरीन ब्लॉगर है
आपका ब्लॉग राष्ट्र प्रेम
का पोषक है बधाईया

राज भाटिय़ा ने कहा…

पिंटू बहुत सुंदर कविता लिखी है आप ने काश आज की पीडी आप की तरह सोचती.
धन्यवाद

विवेक सिंह ने कहा…

विचारणीय मुद्दे उठाए हैं .

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

अच्छी विचारणीय कविता लिखी है आपने

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