गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

ज्ञान बड़ा इस इन्सा का,पर अक्ल बड़ी छोटी है?रोटी के लिए हर जंग हुई,हर जंग के पीछे रोटी है!!

बाहर हमे लगता है, की हमने ज्ञान पा लिया है.जो आतंक बरपाते है-उन्हें लग रहा है की ज्ञान हो गयी है.वे सब जानते है,उन्हें जो बहकते है, वे सोंचते है,की उन्हें सब ज्ञान है.मुझे आशचर्य होता है की जो पैसे के पीछे पड़े है,उन्हें लगता है की उन्हें सब मालूम है.जो पद के पीछे पड़े है-उन्हें लगता है ज्ञानी है,और जो देश व समाज का नेतृत्व कर रहे है,उन्हें भी लगता है की सब ज्ञान है। मुझे आस-पास इतने ज्ञानी मिलते है,की मुझे लगता है,संसार ज्ञान से कम ज्ञानियों से ज्यादा भरा हुआ है,और यही सच है तो फ़िर दुनिया में दुःख क्यों है?जो आतंकी पकड़ा गया है अजमल कसब,उसने पाकिस्तान भेजे गये अपने पत्र में ख़ुद को दुनिया का बहुत बड़ा गुनाहगार माना है क्यों?जब वह गोलिया बरसा रहा था तब ज्ञान क्यों नही आया?क्योंकि तब उसे लग रहा था की वह ज्ञानी है,उसे ज्ञान प्राप्त है की वह जो कर रहा है वही धर्म है,उसे जन्नत मिलेगी,अब वह जन्नत कहाँ है?उसे जिन लोगो ने यह सब समझाकर उसका बेरेन्वास किया था,कहां है वे जन्नत के ठेकेदार?और साथ में उसे लालच दिया गया था.डेढ़ लाख रूपये का.यह रकम उसके वालिदैन को-माता-पिता को मिलनी थी?क्या मिली?यानि जब धर्म का बहाना छोटा पड़ गया तो रोटी का टुकड़ा फेका गया...और आदमी के साथ सबसे बड़ा सच यह की उसे भूख लगती है,भूख रोटी से मिटती है,इसलिए भूखे से आप कोई भी पाप करा सकते है,भूख का जैसा चाहे इस्तेमाल कर सकते है,हमारे ही मुल्क में अलग-अलग दावों के अनुसार ६६%से लेकर ७८%तक लोग भरी गरीबी में जी रहे है,उन्हें भूखा रखकर उनके वोट वतोरे जा रहे है.सिकंदर से एक फ़कीर ने पुछा की मान लो तुम एक भयानक रेगिस्तान में भटक गये,तुम्हे जमकर प्यास लगी हो,कही पानी नही है,तुम चटपटा रहे हो,और इसे में कोई आधा गिलास ही सही पानी लेकर आए तो तुम उसे क्या दोगे?मई ...सिकंदर ने झट से कहा-उसे अपना पुरा राज्य ही दे दूंगा-फ़कीर मुस्करा कर बोला,देख लो तुम्हारे साम्राज्य की कीमत आधा गिलास पानी!तो,आदमी को भूखा रखो और चाहे जो करालो,एक आदमी से दुसरे का खून करालो,यही तो हो रहा है.हमने एक ऐसी भयानक दुनिया बना ली है,जहाँ भूख ने इंसानियत पर कब्जा कर लिया है.जहाँ भूख से बचने के लिए आदमी कुछ भी करने को तैयार हो जाता है,जहाँ हर तरह से भूख मार रही है-गरीबी-बेकारी-तंगहाली हो या युद्ध,आतंकवाद या घोटाले,भर्ष्टाचार सबके पीछे कही न कही रोटी है,कारण क्या है?कुछ चालक लोगो ने शेष इंसानी-दुनिया की रोटियों पर जीने का अधिकार पर कब्जा कर लिया है.इस देश में गरीबी और बेकारी की मार इतनी ज्यादा है की समाज का युवा वर्ग तेजी से अपराधीकरण की ओर बढ़ रहा है.ऐसे में किसी न किसी तरह वह शातिर अप्रध्यो या आतंक्कियो के चंगुल में फस जाता है.कसाब भी एक ऐसा ही युवक है वह आतंकवादी बन गया.पता नही कुछ लोग जो भूख का इस तरह सोडा करते है,वे क्या कहर इस दुनिया पड़ धायेंगे

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1 टिप्पणी:

राज भाटिय़ा ने कहा…

भाई हमारा देश गरीब नही लेकिन इन चंद ोगो ने इसे भिखारी बना दिया, आप ने अपने लेख मै बहत ही बात लिखी है.
धन्यवाद

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