शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008

एम्.बी. ऐ.वो है जो...

MBA वो है जो अक्सर फसाता है .

Interview के सवाल मे,

बड़ी कम्पनियों की चाल मे,

Boss और Client के बवाल मे,

MBA वो है जो पाक गया है Meetings के जंजाल मे,

Submission की गहराई मे,

Teemwork की छंटाई मे।

MBA वो है जो लगा रहता है,

Schedule को फैलाने मे,

Targets को खिसकाने मे,

रोज नये-नये Bahaano मे।

MBA वो है जो Lunch टाइम Beakfast करता है,

Dinner टाइम मे Lunch करता है,

Commutation के वक्त सोया करता है।

MBA वो है जो पागल है,

चाय और समोसे के प्यार मे,

सिगरेट के खुमार मे,

Birawatching के विचार मे,

MBA वो है जो खोया है,

Reminders के जबाब मे,

ना मिलने वाले हिसाब मे,

बेहतर भविष्य के ख्याब मे।

MBA वो है जिसे इंतजार है,

Weekend Night मनाने का,

Boss के छुट्टी पर जाने का,

Increment की ख़बर आने का।

MBA वो है जो सोचता है,

काश पढ़ाई मे ध्यान दिया होता,

Teacher से पंगा न लिया होता,

काश इश्क न किया होता,

और सबसे बेहतर तो ये होता,

कमबख्त MBA ही ना किया होता...

कल मुझे एक बहुत पुराने मित्र से मुलाक़ात हुई.मैंने खूब रात भर बात की.और जब मैंने उसका हालचाल पुछा तो उसी ने कहा !

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12 टिप्‍पणियां:

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

यथार्थ को परोसती सुंदर रचना तिवारी जी बहुत बढिया

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर रचना।

अंकुर गुप्ता ने कहा…

excellent!

L.Goswami ने कहा…

सुंदर !! और सत्य भी .

विवेक सिंह ने कहा…

अरे भाई आप तो मास्टर मालूम पडते हो . कहाँ थे अब तक ?

Unknown ने कहा…

bhai chek kar raha hu!

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

हर बार की तरह आपकी लेखनी ने जादू बिखेरा है

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

यार पिण्टू भाई आप तो सच मे एक कालेज खोल लो ! आपके मित्र ने जो कुछ सुनाया वो इमनदारी से सुनाया है उसको हमारा धन्यवाद देना !

रामराम !

hem pandey ने कहा…

मजेदार कविता.

Mr Bisht ने कहा…

brilliant sarcasm, but erutite too. Keep writing man.

Unknown ने कहा…

chek-chek

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

आपको बहुत बहुत बधाई
सुंदर रचना

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