बुधवार, 14 जनवरी 2009

सम्मान के साथ अपमान


एक व्यक्ति मोहनदास करमचंद गाँधी,जिन्हें हम बापू कहते है,आजकल सरकार ने उनकी एक तस्वीर डाक टिकट के रूप में निकली है.जिसे हम जीभ से गीला करके लिफाफे पर रखकर ऊपर से जोर हाथ मरकर चिपकाते है.उसके बाद पोस्ट ऑफिस का कर्मचारी अपनी काली स्टांप मरकर राष्ट्रपिता का चेहरा काला कर देता है.फ़िर पत्र पाने वाला व्यक्ति लिफाफ से पत्र निकाल कर गाँधी जी को कूडेदान में डाल देता है। लेकिन मै ये कहना चाहता हूं की देश की सरकार को यही सब करवाना है,तो २.अक्तूबर क्यों मनाते है? राजघाट पर क्यों जाते है?मगर हमारा भारत देश महान है.शायद इसलिए यहां सम्मान के साथ अपमान भी जायज है।

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7 टिप्‍पणियां:

डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar ने कहा…

Bhai Pintu ji,
Apne bahut sahee mudda uthaya hai.ismen main kuchh aur jodna chahoonga.
Hamare desh ke log badee harmik pravritti ke hain .Subah ghar se ganesh ji,durga ji, tulsee ji kee pooja karke nikalate hain.raste men pan parag ke sath tulsee,ya ganesh chhap,radha,shiv chhap tambako khakar pauch sadak par fenk dete hain.uske bad kahan jata hai Ganesh,tulsee,shiv,ya radha ka pauch par chhapa chitra....paron ke neeche,fir nale men..
Tab kahan jatee hai yahan ke dharmik logon kee bhakti...?
baharhal..achchha mudda uthane ke liye badhai.
Hemant Kumar

बवाल ने कहा…

बात तो पते की है पिण्टू भाई, देखिए शायद कोई सुनवाई हो जाए सरकार में ।

विवेक सिंह ने कहा…

बात पते की है पिंटू जी दाद देनी पडेगी आपकी !

राज भाटिय़ा ने कहा…

पिण्टू बोला तो आप ने बिलकुल सही है, लेकिन ना सरकार समझने वाली है, ना ही लोग, ओर ना ही डाक बाबू.
धन्यवाद

समयचक्र ने कहा…

बहुत सच और सटीक बात कही है . लोगो की इस आदत में सुधार शायद ही पाए जबतक लोग ख़ुद जागरुक नही होंगे.

makrand ने कहा…

bahut sahi baat vicharaniye

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

बात तो ठीक है आपकी... सही मुद्दा..

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