सदियों की पहचान मिटा दी जायेगी,
पुरखो की तहजीब भुला दी जायेगी।
जागो दहशत आ पहुची दरवाजे तक,
घर-घर में बारूद बिछा दी जायेगी।
बरवादी के बाद जो रिश्ते सोचेंगे,
आंगन से दीवार हटा दी जायेगी।
असली चेहरे सामने आने वाले है,
कल सब की तस्वीर दिखा दी जायेगी।
कितने दिन और सियासत से खेलोगे,
नाकारा सरकार गिरा दी जायेगी।
माजी अपने आपको फ़िर दुहरायेगा,
आजादी जब ख्वाब बना दी जायेगी।
दुश्मन को जब दोस्त बनायेंगे,
नफरत की हर एक बात भुला दी जायेगी।
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