बुधवार, 12 नवंबर 2008
हे ईश्वर...कहां हो...?
आपका क्या कहना है??
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7 टिप्पणियां:
- राज भाटिय़ा ने कहा…
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एक सच्चा सच.बहुत सुंदर
धन्यवाद -
बुध नव॰ 12, 10:47:00 pm
- ताऊ रामपुरिया ने कहा…
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बहुत सही कहा आपने ! असल में इसीलिए दीपक के नीचे अँधेरा होता है ! अपने अन्दर नही देख कर दूसरी जगह खोजने पर कैसे मिलेगा ? जब की वो बाहर नही अन्दर ही बैठा है !
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बुध नव॰ 12, 11:24:00 pm
- गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…
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waise to ishwar ham sab me hai,nagar ham par "main" bhari hai
narayan narayan -
शुक्र नव॰ 14, 09:53:00 am
- अभिषेक मिश्र ने कहा…
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'भग्वान'आदमी बाहर ही आपको खोजता है...अपने भीतर वो कभी कुछ नही खोजता...आप उसी के भीतर क्यों नही छिप जाते...
अच्छा लिखा है आपने. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी -
शुक्र नव॰ 14, 10:12:00 am
- Amit K Sagar ने कहा…
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ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
(उल्टा तीर) -
शुक्र नव॰ 14, 03:13:00 pm
- Jimmy ने कहा…
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bouth hai dear
visit my site
www.discobhangra.com -
शुक्र नव॰ 14, 03:43:00 pm
- SRK BALI ने कहा…
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Bahot khoob
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शुक्र नव॰ 14, 05:29:00 pm
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