बुधवार, 12 नवंबर 2008

हे ईश्वर...कहां हो...?

...ईश्वर तो यकीनन है...एक बार की बात है ईश्वर अपने लिए एकांत खोज रहा था...मगर अनगिनत संख्या में मानव जाती के लोग उसे एकांत या विश्राम लेने ही नही देते थे...नारद जी वहां पहुंचे...ईश्वर का गमगीन चेहरा देख,परेशानी का सबब पूछा...कारण जान हंसने लगे...ईश्वर हैरान नारद बजाय सहानुभूति जताने के हंसते है...नाराज हो गए...तो नारद ने उसे कहा,'भग्वान'आदमी बाहर ही आपको खोजता है...अपने भीतर वो कभी कुछ नही खोजता...आप उसी के भीतर क्यों नही छिप जाते...ईश्वर को बात पसंद आ गई...तब से आदमी के भीतर ही छिपा बैठा रहता है...और एकाध इक्का-दुक्का आदमी ही उसकी खोज में अपने भीतर उतरता है...ईश्वर भी खुश...आदमी भी खुश...

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8 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक सच्चा सच.बहुत सुंदर
धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सही कहा आपने ! असल में इसीलिए दीपक के नीचे अँधेरा होता है ! अपने अन्दर नही देख कर दूसरी जगह खोजने पर कैसे मिलेगा ? जब की वो बाहर नही अन्दर ही बैठा है !

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

waise to ishwar ham sab me hai,nagar ham par "main" bhari hai
narayan narayan

अभिषेक मिश्र ने कहा…

'भग्वान'आदमी बाहर ही आपको खोजता है...अपने भीतर वो कभी कुछ नही खोजता...आप उसी के भीतर क्यों नही छिप जाते...
अच्छा लिखा है आपने. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी

Amit K Sagar ने कहा…

ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
---
आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
---
अमित के. सागर
(उल्टा तीर)

Jimmy ने कहा…

bouth hai dear



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SRK BALI ने कहा…

Bahot khoob

Unknown ने कहा…

Mere Honton Ke Mehaktay Hue Naghmo Par Na Ja
Mere Seenay Main Kaye Aur Bhi Ghum Paltay Hain
Mere Chehray Par Dikhaway Ka Tabassum Hai Magar
Meri Aankhon Main Udaasi Kay Diye Jalte Hain

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