शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

यह भारत तो हमारा नही है !

माफ़ करे,मै लगातार देख रहा हू कि सारी दुनिया को परिबार माननेवाला भारत ओंर पासायंन के रूप में विशव कल्याण कि कामना करने वाला महाराष्ट्र- दोनों को लेकर अब यह कहने का समय आ गया है कि हम एक परदेश एक देश के रूप में रहने में लगातार असफल हो रहे है,यह भारत तो हमारा भारत नही है ? सारे देश में इस कदर परचंड बेरोजगारी है कि हर बेरोगार उसकी दुनिया अंदेरे में दिखाई दे रही है ,एक बेरोजगार कि व्यथा सिर्फ़ वही जनता है क्योंकि उसे यार-दोस्तों की नजरो में तो शर्मिंदा होना ही परता है ,घर में माँ -बाप तक ताने देते है ,भाई -बहन भी उसे नाकारा या बोझ समझते है .पत्नी-बच्चे तक उसका साथ नही देते! आभाव भूख ओर शर्म की भयानक तरास्दी से बेरोजगार जब गुजरता है तो आत्महत्या तक के बिचार मन में आने लगते है .राजनेताओं ने तो अपनी रोटिया सकने में तो उस्तादी हासिल कर ली है .देश जलता है .युवाओं के जख्मो और लाशो या जिन्दोव मुर्दों की चिताओं के आग में वे छप्पन पकवान बनाते-खाते है उनकी सत्ताए सुरखित रहती है .यही सत्ता की चाबी है -दूसरी ओर बेरोजगार अपने सीने पर जिन्दगी का बोझ लिए जीने पर मजबूर रहते है, वे चाहे जहाँ के हो,ज्यादा फर्क नही है। कृपया इस दर्द को महसूस करे!वैसे भी बेरोजगार जिन्दा कहाँ होते है? शेस-शुभ, और क्या कहू?

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5 टिप्‍पणियां:

Abhishek Ojha ने कहा…

गंदी राजनीति है और कुछ लोग ही हैं, बाकी तो भारतात अपना है ही.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बिलकुल सही कहा आप ने ,लेकिन हिम्मत नही हारनी चाहिये , भाई शान से जीयो चाहे हाथ से मेहनत ही ना करनी पडे, मेने देखा है बहुत ही पढे लिखे को सब्जी बेचते हुये भी, हिम्मत हारने से कुछ नही होता, यह जीवन एक बार मिलता है, ओर इसे जीने की कला आनी चाहिये.
धन्यवाद

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

भाई ऐबी बाप कबाबी मां-बहनें अपनी मरजी की
फिर भी भाई अपने घर का होना बहुत जरूरी है
घर चाहे बनने वाला हो घर चाहे ढहने वाला हो
अपने ही घर भीतर हंसना-रोना बहुत जरूरी है
देश हमारा घर है प्यारे और यही बेहतर है प्यारे
तन कोढ़ी हो जाये फिर भी ढोना बहुत जरूरी है
#आपकी इस पोस्ट के लिये बधाई के बावजूद तीन शेर समर्पित करता हूं
kripya WORD verification hataiye

L.Goswami ने कहा…

काफी -बेबाक और साफ प्रस्तुति ..नियमित लिखे ..

प्रदीप मानोरिया ने कहा…

आपने एकदम सत्य को उजागर किया है इस सम्बन्ध में मेरी नई रचना सम्पूर्ण देश की हवा एक है अवश्य पढ़ें आपका स्वागत है

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